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काल


काल क्या होता है
काल का अर्थ होता है समय। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं। अथार्त कार्य व्यापार के समय और उसकी पूर्ण और अपूर्ण अवस्था के ज्ञान के रूपांतरण को काल कहते हैं।

काल के उदाहरण :

(i) सुनील गीता पढ़ता है।
(ii)
प्रदीप पढ़ रहा है।
(iii)
रमेश कल दिल्ली जाएगा।
(iv)
बच्चे खेल रहे हैं।
(v)
मैंडम पढ़ा रही थीं।
(vi)
वह खा रहा है।

काल के भेद :-

1. भूतकाल
2.
वर्तमान काल
3.
भविष्य कल
1. भूतकाल :-भूतकाल का अर्थ होता है बिता हुआ। क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। अथार्त जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था , थे , थी आदि से होती है।
उदाहरण के लिए :-
(i) रमेश पटना गया था।
(ii)
पहले मैं लखनऊ में पढ़ता था।
(iii)
राम ने रावण का वध किया था।
(iv)
नाना जी कहानी सुना रहे थे।
(v)
वह खा चूका था।
(vi)
वह आया था।
(vii)
मैंने पत्र लिखा था।
(viii)
रोहन खेलने गया था।
(ix)
बच्चा जा चुका था।
भूतकाल के प्रकार :-
(1)
सामान्य भूतकाल
(2)
आसन्न भूतकाल
(3)
पूर्ण भूतकाल
(4)
अपूर्ण भूतकाल
(5)
संदिग्ध भूतकाल
(6)
हेतुहेतुमद् भूतकाल
(7)
समयकालीन भूतकाल
(1) सामान्य भूतकाल :- जिस क्रिया के भूतकाल में क्रिया के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का संकेत मिले उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। अथार्त जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का बोध नहीं होता है उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
सामान्य भूतकाल की क्रिया से यह पता चलता है की क्रिया का व्यापार बोलने से या लिखने से पहले हुआ। जिन वाक्यों के अंत में आ , , , था , थी , थे आते हैं वे सामान्य भूतकाल होता है।
जैसे :-
(i) मैंने गाना गाया।
(ii)
खिलाडी खेलने गये।
(iii)
सीता गई।
(iv)
श्रीराम ने रावण को मारा।
(v)
मनोज घर गया।
(vi)
पानी गिरा।
(vii)
वह स्कूल गया।
(viii)
मैंने समाचार देखा।
(ix)
श्याम ने पत्र लिखा।
(2) आसन्न भूतकाल :- आसन्न का अर्थ होता है -निकट। जिस क्रिया के अभी-अभी या निकट के भूतकाल में पूरा होने का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चले की क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से कार्य व्यापार की निकट समय में समाप्ति का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
जैसे :-
(i) मैं अभी हिसार से आया हूँ।
(ii)
मैंने सेब खाया है।
(iii)
अध्यापिका पढ़कर आयीं हैं।
(iv)
मैं अभी सोकर उठा हूँ।
(v)
उसने दवा खायी है।
(vi)
सिपाही ने चोर को पकड़ लिया।
(vii)
श्याम ने पत्र लिखा है।
(viii)
कमल गया है।
(3) पूर्ण भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है की कार्य निश्चित किये गये समय से पहले ही पूरा हो चूका था उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य को समाप्त हुए बहुत समय बीत चूका है उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
कार्य के पूर्ण होने के स्पष्ट बोध को पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में था , थी , थे , चूका था , चुकी थी , चुके थे आदि आते हैं वो पूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे :-
(i) पद्मा ने नृत्य किया।
(ii)
वह दिल्ली गया था।
(iii)
भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था।
(iv)
बच्चा आया था।
(v)
उसने श्याम को मारा था।
(vi)
अर्जुन ने कर्ण को मारा था।
(vii)
नौकर पत्र लाया था।
(viii)
राधा ने गीत गया था।
(ix)
वह रोटी खा चूका था।
(x)
श्याम ने पत्र लिखा था।
(4) अपूर्ण भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य भूतकाल में पूरा नहीं हुआ था अपितु नियमित रूप से जारी रहा उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
अथार्त क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में शुरू होने का पता चले लेकिन खत्म होने का पता न चले उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में रहा था , रही थी , रहे थे आदि आते हैं वे अपूर्ण भूतकाल होते हैं।
जैसे :-
(i) मोहन मैदान में घूम रहा था।
(ii)
वह हॉकी खेल रहा था।
(iii)
सुनील पढ़ रहा था।
(iv)
राहुल लिख रहा था।
(v)
बच्चे खेल रहे थे।
(vi)
सुरेश गीत गा रहा था।
(vii)
चिट्ठी लिखी जाती थी।
(viii)
गीता हंस रही थी।
(ix)
वह समाचार देख रहा था।
(x)
कमल जा रहा था।
 (5) संदिग्ध भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से अतीत में हुए या करे हुए कार्य पर संदेह प्रकट किया जाये उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे संदिग्ध भूतकाल होते हैं। क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में पूरा होने पर संदेह हो कि वह पूरा हुआ था या नहीं उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जैसे :-
(i) सुनील हिसार गया था।
(ii)
वे क्रिकेट खेले होंगे।
(iii)
बस छूट गई होगी।
(iv)
तू गाया होगा।
(v)
उसने खाया होगा।
(vi)
ललिता चली गई होगी।
(vii)
श्याम ने पत्र लिखा होगा।
(6) हेतुहेतुमद् भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य हो सकता था लेकिन दूसरे कार्य की वजह से हुआ नहीं उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
इसमें पहली क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होती है। पहली क्रिया तो पूरी नहीं होती लेकिन दूसरी भी पूरी नहीं हो पाती। जिसमे क्रिया के होने में कोई शर्त पायी जाये उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
जैसे :-
(i) मैं आगरा जाती तो ताजमहल देखती।
(ii)
सुरेश मेहनत करता तो सफल हो जाता।
(iii)
यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
(iv)
वह जाता।
(v)
यदि मैं आता तो वह चला जाता।
(vi)
यदि श्याम ने पत्र लिखा होता तो मैं अवश्य आता।
(7) समयकालीन भूतकाल :- जिन वाक्यों के अंत में रहा था , रही थी , रहे थे आदि आते हैं और समय का निश्चित बोध होता है उसे समयकालीन भूतकाल कहते हैं।
जैसे :-
(i) वे पिछले तीन घंटे से टीवी देख रहे थे।
(ii)
वे दो दिन से खेल रहे हैं।

2. वर्तमान काल :-

क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की काम अभी हो रहा है उसे वर्तमान काल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से समय का पता चले और क्रिया व्यापर का वर्तमान समय में पता चले उसे वर्तमान काल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में ता , ती , ते , है , हैं आते हैं वो वर्तमान काल कहलाता है। क्रियाओं के होने की निरन्तरता को वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे :-
(i) राम अभी-अभी आया है।
(ii)
वर्षा हो रही है।
(iii)
राजू गाता है।
(iv)
मोहन पढ़ रहा है।
(v)
पुजारी पूजा कर रहा है।
(vi)
वह खाता है।
(vii)
राम पढ़ता है।
(viii)
मुनि माला फेरता है।
वर्तमान काल के भेद :-
(1) सामान्य वर्तमान काल
(2)
अपूर्ण वर्तमान काल
(3)
पूर्ण वर्तमान काल
(4)
संदिग्ध वर्तमान काल
(5)
तात्कालिक वर्तमान काल
(6)
संभाव्य वर्तमान काल
(1) सामान्य वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से कार्य की पूर्णता और अपूर्णता का पता न चले उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। अथार्त जिस क्रिया से क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में ता है , ती है , ते है , ता हूँ , ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप में पायी जाती है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। जहाँ पर क्रिया का प्रारम्भ बोलने के समय होता है।
जैसे :-
(i) राम घर जाता है।
(ii)
वह गेंद खेलता है।
(iii)
सीता पढती है।
(iv)
मैं गाता हूँ।
(v)
वह आता है।
(vi)
हवा चलती है।
(vii)
कमल पड़ता है।
(viii)
बच्चा रोता है।
(2) अपूर्ण वर्तमान काल :- अपूर्ण का अर्थ होता है अधुरा। क्रिया के जिस रूप से कार्य के लगातार होने का पता चलता है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते है। जिन वाक्यों के अंत में रहा है , रहे है , रही है , रहा हूँ आदि आते है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे :-
(i) श्याम गेंद खेल रहा है।
(ii)
वह घर जा रहा है।
(iii)
अनीता गीत गा रही है।
(iv)
रमेश लिख रहा है।
(v)
बन्दर नाच रहा है।
(vi)
कमल पत्र लिख रहा है।
(vii)
श्याम आ रहा है।
(3) पूर्ण वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरे होने का पता चलता है। उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते है। इसमें हमें कार्य की पूर्ण सिद्धि का पता चलता है। इसमें हमें क्रिया के व्यापार के तत्काल पूरे होने के बारे में पता चलता है।
जैसे :-
(i) मैंने फल खाए हैं।
(ii)
उसने गेंद खेली है।
(iii)
वह आया है।
(iv)
नकर आया है।
(v)
पत्र भेजा गया है।
(4) संदिग्ध वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है।अथार्त जिन वाक्यों के अंत में ता होगा , ती होगी , ते होंगे आदि आते हैं उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं। इसमें उसकी वर्तमान काल में संदेह न हो।
जैसे :-
(i) सविता पत्र लिखती होगी।
(ii)
वह गाता होगा।
(iii)
राम खाता होगा।
(iv)
रमेश जाता होगा।
(v)
गाड़ी आती होगी ।
(vi)
बच्चा रोता होगा।
(5) तात्कालिक वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता हो कि कार्य वर्तमान में हो रहा है उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। इसमें बोलते समय क्रिया का व्यापार चलता रहता है। इसमें इसकी पूर्णता का पता नहीं चलता है।
जैसे :-
(i) मैं पढ़ रहा हूँ।
(ii)
वह जा रहा है।
(iii)
हम कपड़े पहन रहे हैं।
(6) संभाव्य वर्तमान काल :- संभाव्य का अर्थ होता है संभावित या जिसके होने की संभावना हो। इससे वर्तमान काल में काम के पूरे होने की संभावना होती है उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे :-
(i) वह आया हो।
(ii)
वह लौटा हो।
(iii)
वह चलता हो।
(iv)
उसने खाया हो।

3. भविष्य काल :-

क्रिया के जिस रूप से क्रिया के आने वाले समय में पूरा होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं। इससे आगे आने वाले समय का पता चलता है। जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे भविष्य काल होते हैं।
जैसे :-
(i) मैं कल विद्यालय जाउँगा।
(ii)
खाना कुछ देर में बन जायेगा।
(iii)
राजू देर तक पढ़ेगा।
(iv)
वह आम लायेगा।
(v)
वह किताब पढ़ेगा।
(vi)
हम सर्कस देखने जायेंगे।
(vii)
राम कल पढ़ेगा।
(viii)
कमला नाचेगी।
(ix)
श्याम पत्र लिखेगा।
भविष्य काल के भेद :-
(1) सामान्य भविष्य काल
(2)
संभाव्य भविष्य काल
(3)
हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल
(1) सामान्य भविष्य काल :- क्रिया के जिस रूप से क्रिया के सामान्य रूप का भविष्य में होने का पता चले उसे सामान्य भविष्य काल कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों के अंत में ए गा , ए गी , ए गे आदि आते हैं उन्हें सामान्य भविष्य काल कहते हैं। इससे क्रिया के भविष्य में होने का पता चलता है।
जैसे :-
(i) वह खाना खाएगी।
(ii)
बच्चे खेलने जायेंगे।
(iii)
वह घर जायेगा।
(iv)
दीपक अख़बार बेचेगा।
(v)
वह पढ़ेगा।
(vi)
राम आएगा।
(vii)
राम पत्र लिखेगा।
(viii)
हम घूमने जायेंगे।
(2) संभाव्य भविष्य काल :- क्रिया के जिस रूप से आगे कार्य होने या करने की संभावना का पता चले उसे संभाव्य भविष्य काल कहते हैं। इसमें क्रियाओं का निश्चित पता नहीं चलता। इसमें भविष्य में किसी कार्य के होने की संभवना होती है।
जैसे :-
(i) शायद कल सुनील आगरा जाए।
(ii)
शायद आज वर्षा हो।
(iii)
शायद चोर पकड़ा जायेगा।
(iv)
परीक्षा में शायद मुझे दो अंक प्राप्त हों।
(v)
मैं सफल हऊँगा।
(vi)
वह विजयी होगा।
(vii)
शायद आज रात वर्षा हो।
(viii)
संभव है कि श्याम पत्र लिखे।
(3) हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल:- क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल कहते है। इसमें एक क्रिया दूसरी पर निर्भर होती है। इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है।
जैसे :-
(i) यदि छुट्टियाँ होंगी तो मैं आगरा जाउँगा।
(ii)
अगर तुम मेहनत करोगे तो फल अवश्य मिलेगा।
(iii)
वह आये तो मैं जाऊ।
(iv)
वह कमाए तो मैं खाऊ।
(v)
जो कमाए सो खाए।
(vi)
वह पढ़ेगा तो सफल होगा।
(vii)
यदि शत्रु हमला करेगा तो मुंह की खायेगा।


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