उपसर्ग
उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का
अर्थ है- किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश
शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। 'हार' शब्द
का अर्थ है पराजय। परंतु इसी शब्द के आगे 'प्र' शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा - 'प्रहार'
(प्र + हार) जिसका अर्थ है चोट करना। इसी तरह 'आ' जोड़ने से आहार (भोजन), 'सम्'
जोड़ने से संहार (विनाश) तथा 'वि' जोड़ने से 'विहार' (घूमना)
इत्यादि शब्द बन जाएँगे। उपर्युक्त उदाहरण में 'प्र',
'आ', 'सम्' और 'वि' का अलग से कोई अर्थ नहीं है, 'हार' शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में
इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे
शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं। हिन्दी में प्रचलित उपसर्गों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है।
2.
हिन्दी
के उपसर्ग,
5.
उपसर्ग
के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय।
संस्कृत के उपसर्ग
क्रम
|
उपसर्ग
|
अर्थ
|
शब्द
|
1
|
अति
|
अधिक
|
अत्यधिक, अत्यंत, अतिरिक्त, अतिशय
|
2
|
अधि
|
ऊपर, श्रेष्ठ
|
अधिकार, अधिपति, अधिनायक
|
3
|
अनु
|
पीछे, समान
|
अनुचर, अनुकरण, अनुसार, अनुशासन
|
4
|
अप
|
बुरा, हीन
|
अपयश, अपमान, अपकार
|
5
|
अभि
|
सामने, चारों ओर, पास
|
अभियान, अभिषेक, अभिनय, अभिमुख
|
6
|
अव
|
हीन, नीच
|
अवगुण, अवनति, अवतार, अवनति
|
7
|
आ
|
तक, समेत
|
आजीवन, आगमन
|
8
|
उत्
|
ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपर
|
उद्गम, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पत्ति
|
9
|
उप
|
निकट, सदृश, गौण
|
उपदेश, उपवन, उपमंत्री, उपहार
|
10
|
दुर्
|
बुरा, कठिन
|
दुर्जन, दुर्गम, दुर्दशा, दुराचार
|
11
|
दुस्
|
बुरा, कठिन
|
दुश्चरित्र, दुस्साहस, दुष्कर
|
12
|
निर्
|
बिना, बाहर, निषेध
|
निरपराध, निर्जन, निराकार, निर्गुण
|
13
|
निस्
|
रहित, पूरा, विपरित
|
निस्सार, निस्तार, निश्चल, निश्चित
|
14
|
नि
|
निषेध, अधिकता, नीचे
|
निवारण, निपात, नियोग, निषेध
|
15
|
परा
|
उल्टा, पीछे
|
पराजय, पराभव, परामर्श, पराक्रम
|
16
|
परि
|
आसपास, चारों तरफ
|
परिजन, परिक्रम, परिपूर्ण, परिणाम
|
17
|
प्र
|
अधिक, आगे
|
प्रख्यात, प्रबल, प्रस्थान, प्रकृति
|
18
|
प्रति
|
उलटा, सामने, हर
एक
|
प्रतिकूल, प्रत्यक्ष, प्रतिक्षण, प्रत्येक
|
19
|
वि
|
भिन्न, विशेष
|
विदेश, विलाप, वियोग, विपक्ष
|
20
|
सम्
|
उत्तम, साथ, पूर्ण
|
संस्कार, संगम, संतुष्ट, संभव
|
21
|
सु
|
अच्छा, अधिक
|
सुजन, सुगम, सुशिक्षित, सुपात्र
|
हिन्दी के उपसर्ग
क्रम
|
उपसर्ग
|
अर्थ
|
शब्द
|
1
|
अ
|
अभाव, निषेध
|
अछूता, अथाह, अटल
|
2
|
अन
|
अभाव, निषेध
|
अनमोल, अनबन, अनपढ़
|
3
|
कु
|
बुरा
|
कुचाल, कुचैला, कुचक्र
|
4
|
दु
|
कम, बुरा
|
दुबला, दुलारा, दुधारू
|
5
|
नि
|
कमी
|
निगोड़ा, निडर, निहत्था, निकम्मा
|
6
|
औ
|
हीन, निषेध
|
औगुन, औघर, औसर, औसान
|
7
|
भर
|
पूरा
|
भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार
|
8
|
सु
|
अच्छा
|
सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल
|
9
|
अध
|
आधा
|
अधपका, अधकच्चा, अधमरा, अधकचरा
|
10
|
उन
|
एक कम
|
उनतीस, उनसठ, उनहत्तर, उंतालीस
|
11
|
पर
|
दूसरा, बाद का
|
परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित
|
12
|
बिन
|
बिना, निषेध
|
बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने
|
अरबी-फ़ारसी के
उपसर्ग
क्रम
|
उपसर्ग
|
अर्थ
|
शब्द
|
1
|
कम
|
थोड़ा, हीन
|
कमज़ोर, कमबख़्त, कमअक्ल
|
2
|
खुश
|
अच्छा
|
खुशनसीब, खुशखबरी, खुशहाल, खुशबू
|
3
|
गैर
|
निषेध
|
गैरहाज़िर, गैरक़ानूनी, गैरमुल्क, गैर-ज़िम्मेदार
|
4
|
ना
|
अभाव
|
नापसंद, नासमझ, नाराज़, नालायक
|
5
|
ब
|
और, अनुसार
|
बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर
|
6
|
बा
|
सहित
|
बाकायदा, बाइज्ज़त, बाअदब, बामौका
|
7
|
बद
|
बुरा
|
बदमाश, बदनाम, बदक़िस्मत,बदबू
|
8
|
बे
|
बिना
|
बेईमान, बेइज्ज़त, बेचारा, बेवकूफ़
|
9
|
ला
|
रहित
|
लापरवाह, लाचार, लावारिस, लाजवाब
|
10
|
सर
|
मुख्य
|
सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार
|
11
|
हम
|
समान, साथवाला
|
हमदर्दी, हमराह, हमउम्र, हमदम
|
12
|
हर
|
प्रत्येक
|
हरदिन, हरसाल, हरएक, हरबार
|
प्रत्यय
प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला)
शब्द का अर्थ है,पीछे चलना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- दयालु= दया शब्द के अंत में आलु जुड़ने से
अर्थ में विशेषता आ गई है। अतः यहाँ 'आलू' शब्दांश प्रत्यय है। प्रत्ययों का अपना अर्थ कुछ भी नहीं होता और न ही
इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है। प्रत्यय के दो भेद हैं-
कृत् प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातु में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत् प्रत्यय से
बने शब्द कृदंत (कृत्+अंत) शब्द कहलाते हैं। जैसे- लेख् + अक = लेखक। यहाँ अक कृत्
प्रत्यय है, तथा लेखक कृदंत शब्द है।
क्रम
|
प्रत्यय
|
मूल शब्द\धातु
|
उदाहरण
|
1
|
अक
|
लेख्, पाठ्, कृ, गै
|
लेखक, पाठक, कारक, गायक
|
2
|
अन
|
पाल्, सह्, ने, चर्
|
पालन, सहन, नयन, चरण
|
3
|
अना
|
घट्, तुल्, वंद्, विद्
|
घटना, तुलना, वन्दना, वेदना
|
4
|
अनीय
|
मान्, रम्, दृश्, पूज्, श्रु
|
माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय
|
5
|
आ
|
सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष्
|
सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा
|
6
|
आई
|
लड़, सिल, पढ़, चढ़
|
लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई
|
7
|
आन
|
उड़, मिल, दौड़
|
उड़ान, मिलान, दौड़ान
|
8
|
इ
|
हर, गिर, दशरथ, माला
|
हरि, गिरि, दाशरथि, माली
|
9
|
इया
|
छल, जड़, बढ़, घट
|
छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया
|
10
|
इत
|
पठ, व्यथा, फल, पुष्प
|
पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित
|
11
|
इत्र
|
चर्, पो, खन्
|
चरित्र, पवित्र, खनित्र
|
12
|
इयल
|
अड़, मर, सड़
|
अड़ियल, मरियल, सड़ियल
|
13
|
ई
|
हँस, बोल, त्यज्, रेत
|
हँसी, बोली, त्यागी, रेती
|
14
|
उक
|
इच्छ्, भिक्ष्
|
इच्छुक, भिक्षुक
|
15
|
तव्य
|
कृ, वच्
|
कर्तव्य, वक्तव्य
|
16
|
ता
|
आ, जा, बह, मर, गा
|
आता, जाता, बहता, मरता, गाता
|
17
|
ति
|
अ, प्री, शक्, भज
|
अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति
|
18
|
ते
|
जा, खा
|
जाते, खाते
|
19
|
त्र
|
अन्य, सर्व, अस्
|
अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र
|
20
|
न
|
क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले
|
क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन
|
21
|
ना
|
पढ़, लिख, बेल, गा
|
पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना
|
22
|
म
|
दा, धा
|
दाम, धाम
|
23
,
|
य
|
गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ्
|
गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य
|
24
|
या
|
मृग, विद्
|
मृगया, विद्या
|
25
|
रू
|
गे
|
गेरू
|
26
|
वाला
|
देना, आना, पढ़ना
|
देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला
|
27
|
ऐया\वैया
|
रख, बच, डाँट\गा, खा
|
रखैया, बचैया, डटैया, गवैया, खवैया
|
28
|
हार
|
होना, रखना, खेवना
|
होनहार, रखनहार, खेवनहार
|
तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर अन्य शब्दों- संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण में
जुड़ते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। तद्धित प्रत्यय से
बने शब्द तद्धितांत शब्द कहलाते हैं। जैसे- सेठ + आनी = सेठानी। यहाँ आनी तद्धित
प्रत्यय हैं तथा सेठानी तद्धितांत शब्द है।
क्रम
|
प्रत्यय
|
शब्द
|
उदाहरण
|
1
|
आइ
|
पछताना, जगना
|
पछताइ, जगाइ
|
2
|
आइन
|
पण्डित, ठाकुर
|
पण्डिताइन, ठकुराइन
|
3
|
आई
|
पण्डित, ठाकुर, लड़, चतुर, चौड़ा
|
पण्डिताई, ठकुराई, लड़ाई, चतुराई, चौड़ाई
|
4
|
आनी
|
सेठ, नौकर, मथ
|
सेठानी, नौकरानी, मथानी
|
5
|
आयत
|
बहुत, पंच, अपना
|
बहुतायत, पंचायत, अपनायत
|
6
|
आर/आरा
|
लोहा, सोना, दूध, गाँव
|
लोहार, सुनार, दूधार, गँवार
|
7
|
आहट
|
चिकना, घबरा, चिल्ल, कड़वा
|
चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट, कड़वाहट
|
8
|
इल
|
फेन, कूट, तन्द्र, जटा, पंक, स्वप्न, धूम
|
फेनिल, कुटिल, तन्द्रिल, जटिल, पंकिल, स्वप्निल, धूमिल
|
9
|
इष्ठ
|
कन्, वर्, गुरु, बल
|
कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ
|
10
|
ई
|
सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात
|
सुन्दरी, बोली, पक्षी, खेती, ढोलकी, तेली, देहाती
|
11
|
ईन
|
ग्राम, कुल
|
ग्रामीण, कुलीन
|
12
|
ईय
|
भवत्, भारत, पाणिनी, राष्ट्र
|
भवदीय, भारतीय, पाणिनीय, राष्ट्रीय
|
13
|
ए
|
बच्चा, लेखा, लड़का
|
बच्चे, लेखे, लड़के
|
14
|
एय
|
अतिथि, अत्रि, कुंती, पुरुष, राधा
|
आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय
|
15
|
एल
|
फुल, नाक
|
फुलेल, नकेल
|
16
|
ऐत
|
डाका, लाठी
|
डकैत, लठैत
|
17
|
एरा/ऐरा
|
अंध, साँप, बहुत, मामा, काँसा, लुट
|
अँधेरा, सँपेरा, बहुतेरा, ममेरा, कसेरा, लुटेरा
|
18
|
ओला
|
खाट, पाट, साँप
|
खटोला, पटोला, सँपोला
|
19
|
औती
|
बाप, ठाकुर, मान
|
बपौती, ठकरौती, मनौती
|
20
|
औटा
|
बिल्ला, काजर
|
बिलौटा, कजरौटा
|
21
|
क
|
धम, चम, बैठ, बाल, दर्श, ढोल
|
धमक, चमक, बैठक, बालक, दर्शक, ढोलक
|
22
|
कर
|
विशेष, ख़ास
|
विशेषकर, ख़ासकर
|
23
|
का
|
खट, झट
|
खटका, झटका
|
24
|
जा
|
भ्राता, दो
|
भतीजा, दूजा
|
25
|
ड़ा, ड़ी
|
चाम, बाछा, पंख, टाँग
|
चमड़ा, बछड़ा, पंखड़ी, टँगड़ी
|
26
|
त
|
रंग, संग, खप
|
रंगत, संगत, खपत
|
27
|
तन
|
अद्य
|
अद्यतन
|
28
|
तर
|
गुरु, श्रेष्ठ
|
गुरुतर, श्रेष्ठतर
|
29
|
तः
|
अंश, स्व
|
अंशतः, स्वतः
|
30
|
ती
|
कम, बढ़, चढ़
|
कमती, बढ़ती, चढ़ती
|
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